पिरामिड ज्ञान नवरत्न ब्रह्मर्षि पितामह पत्री जी द्वारा बताये गए नौ महत्वपूर्ण सिद्धांतों का संग्रह है, जो जीवन के गहरे अर्थों को समझने में मदद करता है। पहला नवरत्न, "आत्मा परब्रह्म है," यह दर्शाता है कि आत्मा और ब्रह्म का संबंध एकात्म है। "जीव परमेश्वर है" सिद्धांत बताता है कि हर जीव में दिव्यता का अंश है, और "शरीर ही मंदिर है" कहकर शरीर को पवित्र स्थान मानने की प्रेरणा दी जाती है।
श्वास को गुरु मानते हुए, "श्वास गुरु है" सिद्धांत ध्यान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। "समय साधना है" सही समय के उपयोग पर जोर देता है, जबकि "सहनशीलता ही प्रगति है" धैर्य के महत्व को दर्शाता है। "अनुभव ही ज्ञान है" सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुभव की आवश्यकता को बताता है। अंत में, "दान धर्म है" और "धर्म ही पुण्य है" सिद्धांत निस्वार्थता और धर्म के पालन पर जोर देते हैं। इन सिद्धांतों के माध्यम से, व्यक्ति आत्मज्ञान की ओर एक सशक्त कदम बढ़ा सकता है।
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