"मानव सेवा ही माधव सेवा है" ब्रह्मर्षि पत्री जी द्वारा लिखी गई एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो मानवता की सेवा और आध्यात्मिकता के गहरे संबंध को उजागर करती है। इस पुस्तक में पत्री जी ने सेवा के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया है, जिसमें लौकिक से लेकर आध्यात्मिक सेवा तक का समावेश है।
पुस्तक में सेवा के तीन स्तर — 'सेवा ध्रुक्पाद', 'सेवा तत्पर', और 'सेवा चक्रवर्ती' — का वर्णन किया गया है, जो साधक को मानव सेवा से माधव सेवा की ओर बढ़ने का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, और मदर टेरेसा जैसी महान विभूतियों के दृष्टांतों के माध्यम से और स्वयं ब्रह्मर्षि पत्री जी के जीवन अनुभवों द्वारा, यह पुस्तक पाठकों को प्रेरित करती है कि वे अपनी सेवा को केवल शारीरिक स्तर तक सीमित न रखें, बल्कि उसे आध्यात्मिक सेवा में परिवर्तित करें, जो सच्ची और शाश्वत सेवा है।
यह पुस्तक उन सभी के लिए एक अनमोल मार्गदर्शिका है जो मानवता की सच्ची सेवा करना चाहते हैं और अपनी आत्मा की उन्नति के लिए तत्पर हैं। ब्रह्मर्षि पत्री जी के गहन विचार और सरल व्याख्यान इस पुस्तक को हर आध्यात्मिक साधक के लिए आवश्यक पठन बना देते हैं।
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