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योग का अर्थ है मिलन—जीवन के हर पहलू से जुड़कर एक पूर्णता की ओर बढ़ना। "अष्टांग राजयोग" में पतंजलि महर्षि द्वारा प्रतिपादित आठ अंगों के माध्यम से योग के गूढ़ रहस्यों को समझाया गया है। यह पुस्तक आपको हठ योग, कर्म योग, नाद योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, और सबसे महत्वपूर्ण राजयोग के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेगी।

 

पुस्तक में सरल और स्पष्ट भाषा में बताया गया है कि योग कैसे आपके शरीर, मन और आत्मा को एक नई ऊंचाई तक ले जा सकता है। इसमें आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि की प्रक्रिया के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्ति के रास्ते को समझाया गया है। 

 

ब्रह्मर्षि पितामह सुभाष पत्री जी का यह संदेश स्पष्ट है कि हर इंसान को अपने भीतर की शक्ति को पहचानकर, अष्टांग योग के मार्ग पर चलकर जीवन में शांति, समृद्धि और आत्मज्ञान की प्राप्ति करनी चाहिए। यह पुस्तक योग के हर साधक के लिए एक अमूल्य मार्गदर्शक है, जो जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर ले जाती है। 

 

पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज मूवमेंट के संस्थापक, पत्री जी का यह ग्रंथ योग के अभ्यास के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Ashtang Rajyog (अष्टांग राजयोग) by Brahmarshi Pitamaha Patriji

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