Dhyan Se Purv, Dhyan Ke Paschat
Hindi
(ध्यान से पूर्व, ध्यान के पश्चात)
Babita Sharma
"ध्यान से पूर्व और ध्यान के पश्चात" पुस्तक मेरे जीवन का सार है। अब तक यदि मैं जन्म से लेकर अपने जीवन की तुलनात्मक उपलब्धियों के बारे में बात करूं, तो यह पुस्तक मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है और यह तभी संभव हो पाया जब मैं ध्यान से जुड़ी, जब मैं पी.एस.एस.एम. से जुड़ी, जब मैं पत्री सर से जुड़ी। अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने में और अपने भीतर के स्वर्ण कमल को खिल जाने में मेरा मार्गदर्शन जिस प्रकार पत्री सर ने किया, मैं कृतज्ञ भाव से उनका आभार मानती हूँ। ब्रह्मर्षि पितामह पत्री जी ना केवल एक साक्षात गुरु की भांति हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं किंतु वे उस दिव्य स्वरुप में हमारे बीच विद्यमान हैं जिनके दर्शन मात्र से हम जन्म जन्मांतर के कर्म बंधन से मुक्त हो जाते हैं। मैं स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानती हूँ कि इस पुस्तक को वर्तमान स्वरूप में आप सबके समक्ष प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने मुझे अपने अनुभवों को संरक्षित करने का यह कार्य सौंपा और प्रेरणा दी। पत्री जी को मेरा कोटि-कोटि नमन।
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